अनोखा कूलर
किसने ये 80 के दशक का कूलर देखा है। इसमें ऊपर वाली टंकी में पानी भरने के बाद उसमें लगा नल खोलने पर पानी कूलर के पैड में टॉप के छिद्रों से पहुंचता था। ये पानी एक बाल्टी या टब में एकत्र होता था। इस पानी को दोबारा ऊपर वाले टैंक में उड़ेल दिया जाता था । किसी पम्प की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। पंखे के लिए अंदर ही एक टेबल फैन रख जाता था। जब मम्मी घर के सारे काम निपटा कर आराम करती थीं, तो मैं दिन भर इसमें नीचे टब में इकठ्ठा हुआ पानी ऊपर वाली टंकी में डालता रहता था और मस्त ठंडी हवा आती रहती थी। और हाँ, इस कूलर की टंकी में दिन भर नाँव तैराया करता था । शाम होते ही दोस्त यार आ जाते थे फिर दो तीन घंटे जम कर खेल कूद होता था। क्या मस्त बचपन था हमारा , बहुत मस्त । ये कूलर का चित्र अपनी उसी बचपन की याद से बनाया है । बताइए ना, कैसा लगा?
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